ना समझो उपभोग की वस्तु मैं स्वयं सृष्टि रचियेता हूँ। ना समझो उपभोग की वस्तु मैं स्वयं सृष्टि रचियेता हूँ।
शादी कर के छोड़ा बाबुल का आँगन और फिर बदला वो नाम जो बचपन से था तुम्हारी पहचान, ससुराल के नए परिवार म... शादी कर के छोड़ा बाबुल का आँगन और फिर बदला वो नाम जो बचपन से था तुम्हारी पहचान, स...
ना थाह है ना ठिकाना बहते रहना मेरी कहानी ना थाह है ना ठिकाना बहते रहना मेरी कहानी
मम्मी ! पापा से बोलो ना थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना। मम्मी ! पापा से बोलो ना थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना।
जाकर ज़िन्दगी से कह दो, कि मैंने हारना सीखा नहीं है। जाकर ज़िन्दगी से कह दो, कि मैंने हारना सीखा नहीं है।
चलो, आज आँसुओ की बूंदों को कटघरे में खड़ा करते हैं। चलो, आज आँसुओ की बूंदों को कटघरे में खड़ा करते हैं।